Thursday, October 31, 2019

गुरु वंदना




पूज्य श्री गुरुवर चरण में नम्र शत-शत वंदना।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना।।
वंदना पंकज-चरण की जो कृपा हम पर करे।
दिनकर सरिस नर रूप में अज्ञान-तम को जो हरे।
दे रहे मूरख हृदय को सत्पंथ की नव चेतना।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना ।।1॥
गुरु कृपा से दूर होता कुपथ का मन से अँधेरा।
ज्ञान शुचि सम्पन्नता से ज्योति का उर में बसेरा।
गुरु बिना संभव नहीं है अति कठिन यह साधना।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना  ।।2
खुद का एक आदर्श बनकर बाल-जीवन जो सँवारे।
पुष्प-सा सुरभित बनाकर पार भव सागर करे।
भेद सद्‍ असद्‍ का बताकर दे रहे जो प्रेरणा।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना ।।3॥
अगम पथ पर कैसे चलना जो सिखाते रात-दिन।
संकटों में  मुस्कुराना  जो  बताते  रात‌-दिन।
धैर्य साहस वीरता से करें  संकटों का सामना।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना  ।।4॥ 
ऐसे गुरुओं को नमन है जो करें उपकार हम पर।
पुत्र सम निज स्नेह देकर शिष्य जन का पथ सुगम कर।
स्वर्ण-सा हमको बनाया हम करें अभ्यर्चना।
नम्र शत-शत वंदना,  नम्र शत-शत वंदना ।।5॥ 

Tuesday, October 29, 2019

कश्मीर का नया सवेरा




कश्मीर का नया सवेरा

  बहुत दिनों के बाद देश में ऐसा भी दिन आया है।
अमर तिरंगा काश्मीर की घाटी में लहराया है॥
पहले तो पाकिस्तानी झण्डे घाटी में लहराते थे।
आई एस के आतंकी विषधर अपना फन फैलाते थे।
                             पत्थरबाजी होती रहती थी भारत की सेना पर।
बंदूकें  तनी रहती  थी कश्मीर  की जनता पर।
तीन सौ सत्तर हटा दिया तब सुमन अमन खिल पाया है।
अमर तिरंगा काश्मीर की घाटी में लहराया है॥1॥

सत्तर सालों से हम इन साँपों को दूध पिलाते थे।
अलगाववादी  हमारे  पैसों पर मौज मनाते थे।
देश तोड़ने में लगे हुए थे अपने पापी हाथों से।
हाथ मिला कर दुश्मन से छलनी करते घातों से।
सभी चाल नाकाम हो गई ऐसा खेल खिलाया है।
अमर तिरंगा काश्मीर की घाटी में लहराया है॥2॥ 

महक उठी केसर की क्यारी कली-कली मुसकाई है।
काश्मीर के कण-कण में आया प्रभात सुखदाई है।
अब सारा डर भूल सभी लगे है अपने कामों में।
स्वास मुक्ति का लेकर जनता जुटी हुई वदलावों में।
स्वाभिमान से सर ऊँचा हो जो चाहा सो पाया है।
अमर तिरंगा काश्मीर की घाटी में लहराया है॥3॥

आज युवा सेना में जाकर खुद का गौरव बढ़ा रहे।
दहशतगर्दी खत्म करेंगे संकल्पित मन बना रहे।
                               सरकारी  योजना  यहाँ  पर  सारी  लागू होंगी।    
लाभ सभी को यहाँ मिलेगा घर-घर खुशियाँ होंगी।
ख्वाब देखता रह जाएगा दुश्मन फिर घबराया है।
अमर तिरंगा काश्मीर की घाटी में लहराया है॥4॥ 



स्वप्न

स्वप्न 

आँखों में पलते स्वप्न सदा,कुछ बिखरे कुछ पूरे होते।
अनजान भीड़ में कर्मवीर, सिंहों की भाँति खड़े होते॥
सपने  न कभी  सोने देते, और नहीं कभी थकने देते।
बिन पूर्ण किए विश्राम कहाँ? वे कार्यशक्ति में दम भरते।।
स्वप्नों की भूल भुलैया में, वह बिखर गया जो भूल गया।
जीवन की मृतक अवस्था है,नैराश्य बाँह में झूल गया॥
स्वप्नों का मर जाना ही तो,जीवन मरने की निशानी है।
जो स्वप्न पूर्ति में लगा रहा,उसकी ही अमर कहानी है॥
मत चाहो और किसी को तुम, बस सपनों से प्यार करो
सपनों तक ले जाने वाला, हर कंटक पथ स्वीकार करो।।
उसका जीना क्या जीना है,जिसने संघर्ष नहीं देखा।
जो बाधाओं में उलझ गया, जीवन में हर्ष नहीं देखा।।
जीवन आगे ले जाने में,  ये सपने बड़े सहायक हैं।
ये मानस के नव चिंतन हैं,शुभ कर्मों के फलदायक हैं॥
जो स्वप्न बंद आँखों में हो,पूरा करने का हो प्रयत्न।
मंजिल खुद ही मिल जाएगी, लग जाएं जब सारे सुयत्न॥
जिंदगी  हसीन बनाते हैं, पूरे  होते  हैं जब  सपने।
दुनिया  हाथों पर रखती है, अनजाने भी होते अपने॥
स्वप्नों के सुदृढ़  पंख लगा,ऊँची उड़ान भरना सीखो।
नाम  शिखर पर अंकित  हो, ऐसा  कुछ करना सीखो॥
मृगतृष्णा में मत उलझ कभी, जोर लगाकर काम करो।
विघ्नों से लड़कर पार निकल,तब जाकरके विश्राम करो॥
फिर  लक्ष्य  करेगा आलिंगन, जो चाहोगे मिल जाएंगे।
हौसला बनाकर चल राही, तब विजय वरण कर पाएंगे॥

                  फूलचंद्र विश्वकर्मा
                         स्नातकोत्तर शिक्षक (हिंदी)
                            केंद्रीय विद्यालय क्रमांक -2 वायु सेना स्थल हलवारा